Rani Laxmi Bai Shayari Poem
Doston swagat hai aap sabhi ka , aaj hum aapk sabhi ke saath garv se share karna chahte hain bharat mata ki virangana Laxmi bai par shayari v kavita .
Mitron rani laxmibai ka jeevan chunautiyon se bharaa hua tha . Par ve ek sachhi virangana thi , jinhone kabhi haar naa mani . Aur zindagi ko shaan se jiya .
Agar aap hindustani hain to jarur rani laxmibai ke baare me suna hoga . School ki kitaabo me , kisi ki baaton me , ya phir kisi kahavat me . Vaise to is virangana par hindi bhasa me movie ban chuki hai . Jiska title tha ” manikarnika” .
Doston jaa kari ke liye aapko batade bachpan me rani laxmibai ko manu ke naam se jaana jata hai .
जब जब कोई भारतीय अपने देश का इतिहास पलट कर देखना चाहेगा तो उसको ऐसे बहुत से किस्से और सच्चाई सुनने को मिलेगी, क्युकी ये देश वीरों की भूमि वाला देश है|
इन सभी इतिहासों में से रानी लक्ष्मी बाई का इतिहास भी बहुत खास है, इन्हे रानी लक्ष्मीबाई भी कहा जाता हैं क्युकी ये झाँसी की रानी थी| बहुत ही कम उम्र में बहुत बड़े बड़े कारनामे और परिपक्वता का परिचय इन्होने दिया था जब ये मात्र 23 साल की उम्र में अंग्रेज़ो की सेना से लड़ी थी | वाराणसी में जन्मी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम मणिकर्णिका था |
इस लेख में आपको इन्ही वीरांगना लक्ष्मीबाई की कविताये, लक्ष्मीबाई पर शायरी फोटोज के साथ मिलेगी जिन्हे आप अपने मित्रो और साथियो के साथ भी साँझा कर सकते है| लक्ष्मीबाई पोएम जो शायद आपके दिल को छू जाएगी और आपको उनकी वीरता का एहसास दिलाएगी |
Door firangi ko karne ki
Sabne mann me thani thi
Chamak uthi san satyavan me
Wo talwaar puraani thi
Bundele har bolo ke mooh
Hamne suni kahaani thi
Khub ladi mardani
Wo to jhansi wali rani thi
Kuch vichitra thi uski kahani
Matrabhumi ke liye
Praan aahuti dene ki thani
Antim saas tak ladi thi wo mardani
Ukhaad phenka har dushman ko
Jisne jhansi ka apmaan kiya
Mardani ki paribhasha bankar
Azaadi ka paigaam diya
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
कुछ विचित्र थी उसकी कहानी,
मातृभूमि के लिए प्राणाहुति देने की ठानी
अंतिम सांस तक लड़ी थी वो मर्दानी
उखाड़ फेका हर दुश्मन को,
जिसने झाँसी का अपमान किया..
मर्दानी की परिभाषा बन कर
आज़ादी का पैगाम दिया..
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