दो पल की ही थी खुशयों उसकी जिसे अपनों का प्यार ना मिला वो बेगुनाह क्या करता जिसे कभी सच्चा...
The post appeared first on Shayari ki Dukaan.
from Shayari ki Dukaan https://ift.tt/2RjP8vR
दो पल की ही थी खुशयों उसकी जिसे अपनों का प्यार ना मिला वो बेगुनाह क्या करता जिसे कभी सच्चा...
The post appeared first on Shayari ki Dukaan.
Comments
Post a Comment